पंकज कुमार श्रीवास्तव
उत्तर प्रदेश विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी जनसंख्या इकाई है,इसलिए इसके विधानसभा चुनाव पर भी पूरे विश्व की नजर टिकी होती है।जवाहरलाल नेहरू,लाल बहादुर शास्त्री,इंदिरा गांधी,राजीव गांधी,चौधरी चरण सिंह,विश्वनाथ प्रताप सिंह,चंद्रशेखर,अटल बिहारी बाजपेई भारत के प्रधानमंत्री हुए,इन सब की राजनीतिक पृष्ठभूमि उत्तर प्रदेश से रही है।उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव,2022 के संदर्भ में गृह मंत्री अमित शाह ने अपील की है कि 2024 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए 2022 में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट करें।
एक विशाल प्रदेश होने के कारण उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारी और प्रचार तकरीबन 1 वर्ष पहले शुरू हो जाता है और अब तो 3 महीने समय भी मुश्किल से रह गया है वैसी स्थिति में चुनाव प्रचार अपने पूरे शबाब पर है और मीडिया जगत के तमाम लोग सहित राजनीति में अभिरुचि रखने वाले लोग उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम का आकलन विश्लेषण करने में लगे हैं,सेफोलॉजिस्ट व्यस्त हो गए हैं।
2004का आम चुनाव वह पहला चुनाव था, जिसमें चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में आमलोगों की रूचि जगाई।तब अटलबिहारी बाजपेयी प्रधानमंत्री थे। सोनिया गांधी प्रमुख विपक्षी नेता थीं। प्रधानमंत्री के रूप में आमलोगों की पसंद के संदर्भ में अटलजी और सोनिया जी की लोकप्रियता में 10% का अंतर था और अटलजी आगे थे। लेकिन, चुनाव परिणाम आने पर भाजपा सत्ताच्युत हो गई थी।
उत्तरप्रदेश की बात की जाए तो,2007 के विधानसभा चुनाव के दौरान मीडिया मायावती और उनकी बहुजन समाज पार्टी को कोई तवज्जो नहीं दे रही थी, मायावती ने मीडिया के लिए अपमानजनक टिप्पणी भी की थी। लेकिन चुनाव परिणाम मायावती के पक्ष में गए थे।
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव,2012के दौरान समाजवादी पार्टी का नेतृत्व अखिलेश यादव ने संभाल लिया था।पूरा मीडिया उन्हें नौसिखिया राजनीतिज्ञ करार दे रहा था, लेकिन वह अकेले ही स्पष्ट बहुमत प्राप्त करने में सफल रहे थे।
27नवंबर को एक ही दिन दो विभिन्न चैनलों ने अपना चुनाव सर्वेक्षण प्रस्तुत किया।सेफोलॉजिस्ट चाहे जो भी कहें,लेकिन अभी जो आकलन विश्लेषण वह प्रस्तुत कर रहे हैं,वह सच नहीं होने वाला है।प्रसिद्ध लोकनीति सीएसडीएस सर्वे के अनुसार विधानसभा चुनावों के संदर्भ में मतदाता अपने वोट का निर्णय अंतिम क्षणों में लेता है।इसीलिए विधानसभा के चुनाव में चुनाव परिणाम रातो रात बदलते हुए भी देखे गए हैं।लोकनीति सीएसडीएस सर्वे के अनुसार पिछले कुछ विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं ने कब निर्णय लिया यह भी पता चला है।तमिलनाडु के 68% मतदाताओं ने अंतिम समय में अपने वोट का निर्णय लिया तो असम के 65% मतदाताओं ने और छत्तीसगढ़ के 78% मतदाताओं ने।उत्तरप्रदेश की सीमाओं को छूने वाले बिहार मध्य प्रदेश और राजस्थान कैम के मतदाताओं जिन्होंने अंतिम समय में चुनाव का मन बनाया उनका प्रतिशत क्रमशः 77%,72% और 72% रहा है।स्वयं उत्तरप्रदेश में 2007 के विधानसभा चुनाव के दौरान 63%,2012 के विधानसभा चुनाव के दौरान 70% और 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान 54% मतदाताओं ने अंतिम समय में निर्णय लिया था।इस परिपेक्ष्य में 27नवंबर 2021 को जो चुनाव-पूर्ण ओपिनियन पोल आए हैं,वह अंतिम रूप से मतदाताओं के मानस को अभिव्यक्त कर रहे हैं,यह मान लेना उचित नहीं होगा।यही नहीं विभिन्न प्रश्नावली के आधार पर आंकड़ों के विश्लेषण से सहमत हो पाना भी कठिन हो जाता है।
एबीपी न्यूज़ पर प्रसारित सी वोटर के सर्वे के मुताबिक,40% मतदाता की पहली पसंद भाजपा गठबंधन है।भाजपा को 2007 में 16.97%,2012 में 15%,2017 में 39.67% वोट मिले थे।इंडिया टुडे के अप्रकाशित सर्वेक्षण के मुताबिक,मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ 42% की गिरावट दर्ज करते हुए 66% से घटकर 24% रह गई है।स्वयं उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता का ग्राफ 49% से घटकर 29% तक पहुंच गया है।स्वयं एबीपी के वर्तमान सर्वे के मुताबिक 48% मतदाता भाजपा से नाराज हैं और बदलाव चाहते हैं 28% मतदाता ऐसे हैं जो नाराज तो हैं लेकिन बदलाव नहीं चाहते अर्थात भाजपा से नाराज मतदाताओं की संख्या 76% है।वैसे में, जब 2017 में भाजपा को 40% से भी कम मत मिले थे तो आज की परिस्थिति में भाजपा को 40% मत मिलेंगे यह मानना कठिन है इन्हीं संदर्भों में यह मानना भी कठिन है कि मुख्यमंत्री के तौर पर 43% मतदाताओं की पहली पसंद योगी आदित्यनाथ है।अलबत्ता,एबीपी न्यूज़ न्यूज़ पर प्रसारित सी वोटर के सर्वे के इस आकलन से सहमत हुआ जा सकता है कि पिछले 1पखवारे में भाजपा के वोटों के प्रतिशत में 1% की गिरावट दर्ज की गई और समाजवादी पार्टी के गठबंधन के वोटों के प्रतिशत में 2% की वृद्धि दर्ज की गई।
27नवंबर को ही देशबंधु अखबार का सर्वे भी प्रसारित हुआ।देशबंधु ने भाजपा को 147 से 155 सीटें मिलती हुई बताईं है।इस सर्वे पर देशबंधु अखबार के ऑनलाइन एडिटर अमलेन्दु उपाध्याय की टिप्पणी काबिले-गौर है कि अगर इतनी सीटें भी भाजपा को आ गई तो सरकार भाजपा की ही बनेगी। चर्चा तेज है कि भाजपा के आधे से ज्यादा विधायकों के टिकट कटेंगे।जिन विधायकों के टिकट कटेंगे,उनकी अगली ठौर समाजवादी पार्टी ही होगी और यह विधायक अगर समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत भी जाएं तो वह भाजपा में वापस आकर भाजपा की सरकार बनाने में मदद करेंगे।बहुजन समाज पार्टी को यह सर्वे 12 से 20 सीटें दे रहा है। बहुजन समाज पार्टी सांगठनिक तौर पर भी भाजपा को सरकार बनाने में मदद कर सकती है।बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर जीतने वाले उम्मीदवार भी सीधे भाजपा में शामिल हो सकते हैं।2017 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर 19 विधायक चुने गए थे,लेकिन आज उनके विधायकों की संख्या 7 रह गई है।शेष सभी लोग दूसरी पार्टियों में चले गए।यही नहीं,आज राष्ट्रीय लोक दल भले ही समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में दिख रहा है,लेकिन वह भाजपा के साथ नहीं जाएगा गारंटी कोई नहीं दे सकता।गोवा,कर्नाटक और मध्य प्रदेश का अनुभव यह बताता है कि सरकार बनाने के लिए भाजपा कोई भी हथकंडे अपना सकती है,उसके लिए राजनैतिक शुचिता का कोई मतलब नहीं है। 1989 के लोकसभा चुनाव के बाद 197 सांसदों के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी लेकिन राजीव गांधी ने कहा की आम जनता का आदेश कांग्रेस के खिलाफ है इसलिए वह विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे और सरकार बनाने के दूसरे विकल्पों पर विचार किया जाए और इसी परिपेक्ष में एक तरफ भाजपा और दूसरी तरफ वामपंथियों के सहयोग से विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री बने थे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के बाद भाजपा ऐसी राजनीतिक शुचिता दिखाएगी इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
दैनिक देशबन्धु जून,2021 से हर महीने के अंतिम शनिवारको 5विधानसभाओं-उत्तराखंड,पंजाब,गो वा, मणिपुर और उत्तरप्रदेश-का ओपिनियन पोल प्रसारित कर रहा है।जून,2021में कांग्रेसके लिए इसका पूर्वानुमान 11-19सीट,जुलाई,2021में 12-20सीट, अगस्त,2021में 7-15सीट का आकलन किया।
16अक्तूबर को प्रसारित हुए देशबन्धु के सर्वे में कांग्रेस के सीटों के पूर्वानुमान में जबरदस्त उछाल आया।इस ताजा पूर्वानुमान में कांग्रेस के लिए 25-33 सीटों का पूर्वानुमान बताया गया था।इस पूर्वानुमानमें कांग्रेसने मायावतीके नेतृत्ववाली बसपाको पीछे छोड़ दिया था। देशबन्धु के ताजा सर्वे में कांग्रेस के लिए पूर्वानुमान 24-32सीटों का है,जो अभी भी बसपा से अधिक है।
देशबन्धु वह पहला यू-ट्यूब चैनल है,जो भाजपा को जून,21 में 145-153,अगस्त में 161-169,अक्टूबर में 149-157 सीट दे रही थी।27नवंबर को इसने भाजपा के लिए 149-157सीटों का पूर्वानुमान बताया है।
विभिन्न सर्वेक्षणों के भीड़ के बीच जनादेश क्या आता है,यह देखने,सुनने, जानने, समझने के लिए मार्च,2022तक प्रतीक्षा करनी है।